चैटजीपीटी का खतरा 10 प्रोफेशन पर सबसे ज्यादा:अभी से स्किल बढ़ाएं

in #chatgpt2 years ago

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में इन दिनों एक शब्द ने कोहराम मचा दिया है। वह है ‘चैटजीपीटी।’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस चैटबॉट चैटजीपीटी पिछले साल 30 नवंबर को लॉन्च हुआ। जनवरी में इसके मासिक एक्टिव यूजर 10 करोड़ हो गए।
चैटजीपीटी का खतरा 10 प्रोफेशन पर सबसे ज्यादा:अभी से स्किल बढ़ाएं, इसे वैकल्पिक टूल बनाएं
नई दिल्लीएक दिन पहले

अभी से स्किल बढ़ाएं, इसे वैकल्पिक टूल बनाएं|

           (बिजनेस,Business - Dainik Bhaskar)

टेक्नोलॉजी की दुनिया में इन दिनों एक शब्द ने कोहराम मचा दिया है। वह है ‘चैटजीपीटी।’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस चैटबॉट चैटजीपीटी पिछले साल 30 नवंबर को लॉन्च हुआ। जनवरी में इसके मासिक एक्टिव यूजर 10 करोड़ हो गए।

इसके साथ ही यह इंटरनेट के इतिहास का सबसे तेजी से बढ़ने वाला कंज्यूमर एप्लीकेशन बन गया। जनवरी में रोज 1.3 करोड़ यूजर जुड़े। इतने इस्तेमाल के बावजूद हड़कंप है। क्यों...? दरअसल, चैटजीपीटी से कई व्हाइट-कॉलर जॉब्स खतरे में हैं। एजुकेशन इंस्टिट्यूट में भी चिंता है। हालांकि यह खतरा निकट भविष्य में नहीं है।

क्रांति है चैटजीपीटी, आएगी ही; प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी
दरअसल, चैटजीपीटी की कई सीमाएं हैं। जैसे यह फिलहाल 2021 तक का ही डेटा देता है। क्रिएटर ने इसे अपने हिसाब से बनाया है। यानी इसकी जानकारियां पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं। कई जवाब गलत भी देता है। इसलिए विश्वसनीय कम है। खास बात, चैटजीपीटी के पास इंसानों जैसा कॉमन सेंस नहीं है। यह कोई नई चीज विकसित नहीं कर रहा है।

यह मौजूदा डेटा के आधार पर ही सैंपल जनरेट करता है। चूंकि आने वाले समय में यह तेजी से विकसित होगा। इसलिए कई जॉब को खतरा तो होगा। यही संकट भारत पर भी है। बेहतर यह है कि हम मैनपावर की स्किल डेवलप करें। चैटजीपीटी से मुकाबला उद्देश्य नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह क्रांति है। आएगी ही। जब कंप्यूटर आया था, तब भी बोला गया था कि नौकरियां खा जाएगा। लेकिन हुआ उल्टा। काम जल्दी होने लगे हैं। चैटजीपीटी भी व्यर्थ समय बचाएगा। इससे सिर्फ उन लोगों पर फर्क पड़ेगा, जो स्किल डेवलप नहीं करेंगे। निकट भविष्य में चैटजीपीटी जैसे टूल से प्रोडक्टिविटी बहुत बढ़ने वाली

++++++++++(सैम आल्टमैन ने बनाया ऐप)++++++++++
सैम आल्टमैन ने 8 साल की उम्र से कोडिंग सीखी।16 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी दो साल बाद छोड़ दी और मोबाइल एप बनाने लगे।