मेरी प्रेम कहानी अध्याय १/My story chapter 1
मेरी प्रेम कहानी
बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र महज 15 साल रही होगी।
पहली बार मैंने उसे देखा, जब वो कक्षा में देरी से आई !!
मैं वैसे तो काफी सख्त था, लेकिन उसे देखते ही मैं अंदर ही अंदर पिघल गया था। हमेसा मैं पढ़ाई को बड़ी गंभीरता से लेता था, लेकिन उस दिन पता नही क्यों मेरा मन बिल्कुल भी नही लग रहा तब पढ़ाई में।
मैं सारा समय उसके बारे में ही सोचता रहा।
इंदु इसी नाम से मेरी कक्षा 11वी की आधी से अधिक कापियों के पन्ने भरे हुए थे।
इंदु को देख कर मैं सब कुछ भूल जाता था, मैं कहा हू क्या कर रहा हूं कुछ भी याद नही रहता था । बस मन में एक ही शब्द गुंजता रहता था इंदु इंदु इंदु .........!!!!!
पूरी कक्षा खत्म हो गयी परीक्षा में महज 15- 20 दिन ही बाकी थे .. और मैने अभी तक पढ़ाई सुरु भी नही की थी।
आज तक इंदु से कभी मेरी बात नही हुई .. फिर एक दिन बाद मैंने देखा कि, इंदु मेरी तरफ आ रही है । मैं सहम गया , वो मेरे सामने आई और मुझे देखने लगी । "क्या तुम मुझे केमिस्ट्री का एक सवाल बता दोगे" उसने मुझसे कहा । मैं बस उसकी आंखो की गहराई में डूबता जा रहा था , उसके आंखों में देख रहा था । वो मुस्कुराई ,और बोली क्या हुआ प्रिंस क्या देख रहे हो तुम।
"कुछ नही इंदु" मैने जवाब दिया।
हा मैं तुम्हे बताता हूं पूछो क्या पूछना चाहते हो आप इंदु।।
फिर हमारी बातें होने लगी।
अब वो रोज मेरे घर भी आने लगी थी ,
पढ़ाई करने ।।
हम घंटो बात किया करते थे, रात के 2-3बजे तक मैं और वो मेरे कमरे में बैठ कर बाते करते थे। मुझे एक बात बस अजीब लगती थी उसकी की वो मेरे से तो बात करती थी लेकिन जैसे ही कोई और मेरे पास आता था वो अचानक कहि चली जाती थी।
वो स्कूल में भी मेरे पास ही बैठा करती थी लेकीन आज तक कभी उसका नाम किसी शिक्षक ने नहि लिया था । बाकी सभी बच्चों के अटेंडेंस होते थे , बस वही रह जाती थी।
लेकिन जो भी हो, मुझे ऐसा लगता था कि मुझे उससे बहुत प्यार हो गया है। वो मेरी मानसिक रचना थी या सच मे कोई लड़की थी ये तो मुझे नहीं पता , लेकिन वो जो भी थी मेरे लिए बस मेरी इंदु थी।
वो मुझे बहुत प्यार करती थी। वो बोला करती थी तुम मेरे लिए क्या कर सकते हो। मैं कहता था जो तुम कहो मैं वो सब कर सकता हु इंदु।
मैं एक दिन बहुत गुस्से में नदी के ऊपर बने पुल पे चल रहा था, अचानक इंदु मेरे सामने आ गयी। उस रास्ते मे जहाँ मैं पीछले 20 मिनेट से अकेले चल रहा था अब वहाँ इंदु भी थी।
मैं थोड़ा सा हैरान हुआ और मैंने उससे पूछा कि तुम यहाँ कैसे।
वो बोली कि "तुम्हारा झगड़ा हुआ था राहुल से और तुमने मुझे नही बताया " । मैं हैरानी से उसका चेहरा देखने लगा.....
क्योंकि जब राहुल से मेरा झगड़ा हुआ तो उसके कमरे में जो कि बॉयज हॉस्टल के सबसे ऊपरी मंजिल में था बस मैं और राहुल ही थे और कोई भी नहीं।
फिर पता नही उसे ये बात कहा से पता चाली।
फिर उसने गुस्से में कहा तूम मेरे लिए क्या कर सकते हो।
मैंने कहा कुछ भी
"कूद जाओ यहा से" उसने कहा
मैं उसे छूना चाहता था लेकिन मैंने जैसे हाथ बढ़ाया वो वहा नहीं थी,
वो पुल के किनारे जहां से पुल थोड़ा सा टूटा हुआ था वही चली गई।
उसने फिर कहा अगर मुझे प्यार करते हो तो आप यहाँ से नीचे कूद जाओ।
मैं कूद गया ।
मुझे जैसे लगा कि वो सच में कोई लड़की नही बल्कि महज मेरी मानसिक रूप से बनाई हुई एक कलाकृति थी।
मैं पानी में डूब गया।। मेरे दोनो पैर गीले हो गए थे,
पानी भी बहुत बदबूदार था।
तभी कही से आवाज आई
उठ जा प्रिंस आज फिर पतलून में मूत दीया तूने ,
एक जोरदार चीज़ मेरे चेहरे से टकराई और मैने अपनी आंखे खोली
वो जोरदार चीज़ कुछ ओर नहीं बल्कि मम्मी का चाटा था।
खैर जो भी हो ।।मेरा सपना अब टुट चुका था।
धन्यवाद आपका मेरी कहानी पढ़ने के लिए
@mehta जी