You are viewing a single comment's thread from:
RE: गाय को राष्ट्र-माता का दर्जा क्या उसे बचा पायेगा?
में आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं मेने यह पोस्ट पूरी नही पढ़ी थी लेकिन दोस्त जैसा आपने कहा कि उनमुक्त कर देना यह कार्य तो सरकार के हाथ मे है और सरकार ऐसा नही करेगी सरकार सिर्फ वो ही काम करती है जिससे उसे फायदा हो नुकसान नही
Posted using Partiko Android
सरकार हमेशा लोकहित में , बहु-संख्यक जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करती है। उस कार्य से वाकई किसी को लाभ अथवा हानि होती हो उस तथ्य से उसका कोई सरोकार नहीं होता। अगर उस कार्य के द्वारा सरकार लोगों की भावनाओं को जीतने में समर्थ हो गई तो समझो कि वो कार्य सफल हो गया। बस, सभी लोकतांत्रिक सरकारों का इतना ही उद्देश्य होता है, इस बात को पहले समझें।
दूसरे, सरकार के हाथ में तो कत्लखानों पर प्रतिबंध लगाना भी नहीं है क्योंकि बहुसंख्यक लोग गाय का दूध पीने के पक्ष में हैं। और मौजूदा परिस्थितियों में, दूध के व्यवसाय को जारी रखने के लिए गाय का क़त्ल आवश्यक है। अतः लोगों कि सहानुभूति लेने के लिए सरकार कुछ राज्यों में कत्लखानों पर वैधानिक प्रतिबंध लगाने का ढोंग करती है परंतु अवैधानिक क़त्ल को जानबूझकर बंद नहीं करती। क्योंकि उसे पता है कि डेयरी उद्योग के पोषण के लिए कत्लखाने आवश्यक हैं। और लोग दूध का उत्पादन बढ़ाने की मांग करते रहते हैं। बेचारी सरकार तो विवश है!
जब तक लोग दूध, दही, घी, पनीर, मावा, आइसक्रीम इत्यादि से तौबा नहीं करेंगे, तब तक सरकार की यह क़त्लखानों की दोहरी नीति चलती रहेगी। अतः पहल जनता को अपनी आदतों में परिवर्तन कर ही करनी होगी।