Contest Creative writing 03, *PAIN*
नमस्ते मेरे स्टीमियन दोस्तों, और मेरे क्रिएटिव पल्स के साथियों,
इस दुनिया में सैकड़ों , हजारों , लाखों , लोग हे जो अपने दुखों अपनी पीड़ाओं को झेल रहे हैं। ईश्वर ने जब ये दुनिया बनायीं थी तो हमें सुख कम और दुःख ज्यादा दिए हे , लेकिन सच्चा और बहादुर इंसान वही होता हे जो इन दुःख दर्द भरे समय को सहन करते हुए अपने बाकी के जीवन को जीने की कोशिश करता हे.
{यह तस्वीर व्हाट्सप्प "मेटा" से ली गयी हे, और किसी अन्य की संपत्ति नहीं हे.]
में आज खुद अपने ही द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता " दर्द" में अपनी एक कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ. मुझे पूरी उम्मीद हे आप इसके दर्द को समझने की कोशिश करेंगे. .
ये कहानी इस प्रतियोगिता में किसी भी इनाम के लिए नहीं लिखी जा रही हे और न ही इस पर "क्रिएटिव पल्स" द्वारा कोई विचार किया जायेगा
रुक्मणि आज सुबह से बहुत व्यथित थी, उसकी आँखों में रह रह कर आंसू आरहे थे, उसे ७ नवम्बर २००९ की उस घटना की याद आते ही उसकी ऑंखें भर जाती हे. वो अपने घर के आँगन में लगे एक आम के पेड़ के निचे खड़ी हुई थी जो उसके पति ने उनकी बच्ची के जन्म दिन पर खुद अपने हाथों से लगाया था , ये पेड़ बहुत बड़ा हो चूका था.
उसे आज भी याद हे जब वो और उसके पति सुबह के १० बजे अपनी एक मात्र नन्ही लाड़ली बेटी सौन्दर्य जो की तब मात्र २ साल की थी को उसके पहले प्ले स्कूल "बचपन " में एडमिशन कराने ले जा रहे थे।
रुक्मणि और उसके पति प्रताप दोनों ही बहुत खुश थे. और हँसते मुस्कराते बच्ची को एडमिशन करने के लिए ले जा रहे थे, लेकिन उनकी खुशियों को शायद किसी की बुरी नजर लग लगी थी।
वो तीनो अपनी स्कूटर पर सवार होकर माध्यम गति से भीड़ वाली सड़क गुजर रहे थे , पति पत्नी अपनी बेटी के पहली बार स्कूल जाने से बेहद रोमांचित थे , और अचानक उनके पीछे से बहुत से लोग शोर मचाते हुए भागने लगे।
इससे पहले की रुक्मणि और प्रताप कुछ समझ पाते की क्या हुआ हे, वहां दो भयंकर आवारा सांड लड़ते हुए उनके पास पहुंच गए। प्रताप के हाथ पैर फूल गए और उसने स्कूटर रोक दिया और चुपचाप खड़ा हो गया , तभी उनमे से एक सांड ने अपने सींगों से उनकी स्कूटर में बहुत जोरदार प्रहार किया और वो तीनो उछल कर बहुत दूर गिरे।
दोनों सांड लड़ते हुए वहां से कही और चले गए। लेकिन इस टक्कर से बेचारी रुक्मणि की दुनिया उजड़ चुकी थी .
सांड के प्रहार से दूर जाकर गिरे प्रताप का सर डिवाइडर के कोने से टकराया था और उसे ब्रेन हेमरेज हुआ था , लोगों ने फ़ौरन हॉस्पिटल से एम्बुलेंस बुलाया था. रुक्मणि और सौन्दर्य को भी बहुत चोटें आयी थी।
तीनो को हॉस्पिटल ले जाया गया रुक्मणि को दो दिन बाद होश आया। और उसने सबसे पहले अपने पति और बेटी के बारे में पुछा।
उसके पास उसका भाई खड़ा था , उसने दुखी मन से बताया की प्रताप की उस दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी और सौन्दर्य भी जीवन मृत्यु के बीच झूल रही हे.
उसे आज भी याद हे कैसे वो ये खबर सुनते ही चीख चीख कर रोने लगी और बड़ी मुश्किल से वहां उसे लोग संभाल पाए थे.
करीब १५ दिन हॉस्पिटल में रहकर रुक्मणि और सौन्दर्य घर वापस आये थे, लेकिन रुक्मणि को घर आकर बस अपने पति की शक्ल दिमाग में घूमती रहती थी , वो उसकी चीजों को छूकर देखती थी , उसकी फोटो को घंटों देखती रहती थी।
वो बिलकुल पागल जैसी हो गयी थी। फिर उसने २ महीने के बाद खुद को संभाला और अपनी बच्ची पर ध्यान देना शुरू किया। अपने पति के व्यवसाय को संभालना शुरू किया।
आज उसे वो सारी घटना दुबारा याद आगयी थी, और उसका छुपा हुआ दर्द फिर प्रकट हो गया था , उस दुर्घटन के १५ साल बाद भी वो अक्सर अपनी पुरानी यादों में खो जाती हे. वो अपने दर्द में डूबी ही रहती अगर पीछे से उसकी बेटी ने आवाज न दी होती.
मम्मी कहाँ हो आज" जल्दी मुझे नाश्ता दो मुझे कॉलिज जाना हे" , ये सौंदर्य की आवाज थी जो अब १७ साल की हो चुकी थी.
रुक्मणि ने जल्दी से अपने दर्द को भुला कर कहा " आ रही हूँ मेरी बच्ची" वो अपने दर्द और अपने गम को अपनी बच्ची के सामने प्रकट नहीं करना चाहती थी.
मैं यहाँ @drhira, @lhorgic, @josepha और @radjasalman को भी आमंत्रित करना चाहता हूँ मेरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद.
मैं सभी स्टीमियन की प्रगति और सुखद भविष्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ।
सुर-रीति❤️
Thank you very much Team 6 and @crismenia.