Mitta
'एक था घर' 'घर कहां था, दद्दा?' 'घर, घर कहां होता है?' 'गांव में होता है, शहर में होता है और कहां होता है।' 'नहीं यह घर था पहाड़ की तलहटी में' 'अरे बाप रे पहाड़ पर' 'अरे बुद्धू, पहाड़ पर नहीं पहाड़ के नीचे।' 'अच्छा… ..दद्दा ठीक है, फिर आगे क्या हुआ दद्दा' 'फिर क्या, उस घर में रहते थे करौड़ीलाल' 'कैसे थे करौड़ीलाल' 'वैसे ही थे जैसे करौड़ीलाल होते हैं' 'अरे दद्दा ठीक से बताओ न कैसे होते हैं' 'अरे यार जैसे अपने पकौड़ीलाल हैं, जैसे अपने छकौड़ी लाल हैं वैसे ही' 'अच्छा ऐसा बोलो न कि करौड़ीलाल बूढ़े बाबा थे' 'बिल्कुल ठीक कहा तुमने' 'आगे फिर' 'आगे फिर क्या उनका एक लड़का था मुट्टा' 'मुट्टा, यह क्या नाम है दद्दा?' गबरू हंसने लगा। ' 'अबे हंसता क्यों है, लड़का मोटा था इसलिए उसका नाम मुट्टा पड़ गया होगा' 'ठीक है! दद्दा फिर क्या हुआ?' 'मुट्टा का एक दोस्त था, अच्छू। दोनों पक्के दोस्त थे। 'दांत काटी चॉकलेट' 'दांत काटी चॉकलेट मतलब' 'एक चॉकलेट को दो लोग आधी-आधी काटकर खाते हैं। पहले एक, अपने दांत से आधी काटकर खा लेता है, बाकी बची आधी दूसरा खा लेता है। ' 'दद्दा यह तो दांत काटी रोटी वाला मुहावरा है।' 'चुप तू ज्यादा जानता है या मैं।' दद्दा ने अपने बड़े होने का अहसास कराया। 'फिर आगे क्या हुआ दद्दा।' 'मुट्टा की इच्छा थी कि वह अच्छू को एक बार अपने घर खाने पर बुलाए। उसने करौड़ीलाल से पूछा तो वे बोले 'बुला लो बित्ते भर का छोकरा कितना खाएगा। अच्छू जी आमंत्रित हो गए। अब क्या था, अच्छूजी सजधज कर मुट्टा के यहां पहुंच गए। भोजन बना पूड़ी-साग, रायता, पापड़, दाल-भात, आम की चटनी। दोनों धरती पर एक बोरी बिछाकर मजे से बैठ गए। 'अरे बाप रे इतना नमक' अच्छू ने पहला ग्रास मुंह में रखते ही बुरा-सा मुंह बनाया। 'कितना नमक खाते हो भाई' अच्छू ने दो घूंट पानी पीकर नमक को मुंह में ही डायलूट करते हुए कहा। 'कहां यार मुझे तो नहीं लग रहा', मुट्टा ने थाली में अलग से रखा नमक सब्जी में मिलाते हुए कहा। 'अरे मुट्टा इतना नमक खाया जाता है क्या, पागल हो गए हो क्या?'अच्छू ने आश्चर्य की मुद्रा बनाई। 'मैं तो इतना ही खाता हूं, शुरू से ही' मुट्टा ने भोलेपन से कहा। 'मेरे भाई कुछ किताबें-विताबें पढ़ा करो। क्या खाना चहिए, कितना खाना चाहिए, इसका मोटा-मोटा अंदाज तो होना ही चाहिए' अच्छू ने समझाइश देना चाही। 'क्या बात करते हो नमक खाने से क्या होता है।' 'अरे भाई नमक खाने से कुछ नहीं होता, मगर अधिक खाने से बहुत कुछ होता है।' अच्छू ने जबाब दिया। 'बताओ बेटा, बताओ क्या होता है... ज्यादा नमक खाने से, मैं भी खूब खाता हूं' करौड़ीलालजी बीच में ही बोल पड़ें। 'काकाजी नमक शरीर के लिए अति आवश्यक है किंतु हद से ज्यादा नमक खाना बहुत हानिकारक है दिन भर में 5-6 ग्राम नमक शरीर की आवश्यकताओं को पूर्ण कर देता है।' 'अधिक नमक खाने से क्या-क्या नुकसान होता है, ठीक से बताओ न।' मुट्टा ने पूछा। 'ज्यादा नमक से हृदय रोग होने का खतरा होता है।' 'अरे बाप रे...! कैसे खतरा होता है खुलकर बताओ न...! 'अधिक नमक खाने से उसे घोलने के लिए शरीर में अधिक पानी का उपयोग होता है और जलीय अंश के असुंतलन से रक्तचाप बढ़ता है, रक्तचाप बढ़ा तो हृदय पर भार पड़ता है, इससे हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।' 'अरे यार, मैं तो बहुत नमक खाता हूं! क्या इसी से तो नहीं मुझे बेचैनी होती रहती है?' मुट्टा को भय सताने लगा था। 'हो सकता है तुम्हारे मोटापे का करण भी यही हो।' अच्छू हंस पड़ा। 'आगे बताओ और क्या-क्या नुकसान हैं नमक के?' 'नमक के नहीं, ज्यादा नमक के।' 'हां-हां, वही तो पूछ रहा हूं।' 'देखो मुट्टा भाई, हम लोग जो भोजन करते हैं, उसमें प्राकृतिक रूप से इतना नमक तो रहता ही है कि जितना हमारे शरीर के लिए आवश्यक है। फिर शरीर की स्थूल से लेकर सूक्ष्म, अति सूक्ष्म क्रियाओं के संचालन में नमक की महिती भूमिका होती है। नमक को अंग्रेजी में रसायन शास्त्र की भाषा में सोडियम क्लोराइड कहते हैं। इसका मुख्य काम शरीर की कोशिकाओं में स्थित पानी का संतुलन करना है। ज्ञान तंतुओं के संदेशों का वहन और स्नायुओं का आंकुचन, प्रसरण होने की शक्ति भी नमक से ही मिलती है।' 'मित्र यह तो गजब की बात है, मैं तो खाता हूं मनमाना, बिना नमक के खाने में स्वाद ही नहीं आता। और क्या नुकसान है, अच्छू... मुझे तो घबराहट हो रही है।' मुट्टा उतावला हो रहा था, जैसे नमक के बारे में आज ही सबकुछ जान लेना चाहता हो। 'नमक शरीर में सप्त धातुओं में निहित ओज को क्षीण कर देता है, ऊर्जा कम होने से इंसान में एक अज्ञात भय उत्पन्न होता है, वह चिंतित रहने लगता है और उसकी प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है।' 'यार मुझे लगता है कि इस कारण से ही मुझे कमजोरी सी लगती है, सुबह कभी-कभी चक्कर भी आ जाते हैं।' 'लगता क्या है, यही कारण है मित्र मुट्टा, इतना नमक खाओगे तो यह होगा ही।' 'और… और बोलो मेरे प्यारे अच्छू डॉक्टर! तुम्हारी बातों में बड़ा रस मिल रहा है।' मुट्टा ने अच्छू को उकसाया। 'नमक खाने से कैल्शियम मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाता है। जितना नमक खाओगे उतना ही कैल्शियम बाहर निकल जाता है। कैल्शियम की कमी से शरीर की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, दांत गिरने लगते हैं, त्वचा पर झुर्रियां पड़ने लगतीं हैं और असमय बाल सफेद होने या झड़ने लगते हैं। आंखों के ज्ञान तंतु क्षतिग्रस्त होने से रोशनी कम होने लगती है, मोटापा, मधुमेह… … ' 'बस यार, चुप करो! अब आगे नहीं सुन सकता।' मुट्टा बौखला गया। 'दद्दा, क्या यह कहानी बिल्कुल सच्ची है', - गबरू ने दद्दा की पीठ पर लदते हुए पूछा। 'तो तुम्हें क्या झूठी लग रही है' दद्दा ने आंखें दिखाईं। 'नहीं-नहीं सच्ची ही होगी, जब आप सुना रहे हैं तो। हमारे दद्दा की कहानी झूठ हो ही नहीं सकती 'गबरू लड़याते हुए बोला। 'दद्दा, मुट्टे ने फिर क्या किया?' 'क्या किया, नमक खाना बिल्कुल कम कर दिया।' 'दद्दा, इस कहानी का शीर्षक क्या रखा आपने?' 'इस कहानी का नाम… . नाम… हां, मुट्टा की कहानी, ठीक है न मुट्टा की कहानी?' 'हां, दद्दा! ठीक तो है मगर… … यदि केवल 'मुट्टा' रखें तो… … ' 'वाह बेटे 'मुट्टा' तो और भी अच्छा है, बहुत अच्छा।'
Source
Plagiarism is the copying & pasting of others work without giving credit to the original author or artist. Plagiarized posts are considered spam.
Spam is discouraged by the community, and may result in action from the cheetah bot.
More information and tips on sharing content.
If you believe this comment is in error, please contact us in #disputes on Discord
Defended (5.81%)
Summoned by @nisha2511
Sneaky Ninja supports @youarehope and @tarc with a percentage of all bids.
Everything You Need To Know About Sneaky Ninja
woosh
You got a 6.62% upvote from @booster courtesy of @nisha2511!
NEW FEATURE:
You can earn a passive income from our service by delegating your stake in SteemPower to @booster. We'll be sharing 100% Liquid tokens automatically between all our delegators every time a wallet has accumulated 1K STEEM or SBD.
Quick Delegation: 1000| 2500 | 5000 | 10000 | 20000 | 50000