ऋग्वेद से प्रार्थना
ओ गायक, दिव्य प्रेम के गीत गाओ! शाश्वत कृपा व आनन्द का दिव्य निर्झर,
तुम्हारी आत्मा में प्रवेश कर जाए। परमात्मा सदा के लिए वहाँ वास करें।
तुम सदा अपने अन्तर में, परमात्मा की उपस्थिति को अनुभव करो।
परमात्मा, दिव्य स्पर्श के साथ, तुम्हारी आत्मा की डोर को थामे हैं।
हे प्रभु! हमें दिव्य वाणी प्रदान करो कि हम, अपने जीवन के तने हुए स्वरों को, आपके लिए गाये जानेवाले, प्रेम-गीतों में बदल दें।