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RE: सुख : स्वरूप और चिन्तन (भाग # १) | Happiness : Nature and Thought (Part # 1)
@mehtaबहुत अच्छी बातें लिखी हैं आपने इस पोस्ट में .
पैसे से कभी सुख ख़रीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।
@mehtaबहुत अच्छी बातें लिखी हैं आपने इस पोस्ट में .
पैसे से कभी सुख ख़रीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।
परन्तु ऐसा कहा जाता है कि दुःख बांटने से कम हो जाता है.
जी हाँ आपने सही कहा , कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो कहेगा की आप अपने दुःख मुझे दे दो लेकिन हम अपने दुःख अपनों के साथ साझा कर सकते हैं।