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RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (अन्तिम भाग # ३) [ The Life of Religion : Modesty (Final Part # 3)]
विनय हमारे जीवन के लिए बहुत जरुरी है क्योंकि अविनय से हमारे काम भी बिगड़ सकते हैं और विनय से हमारे जीवन में काम भी बन सकते है।