अमन और इच्छा पूरी करने वाली गेंद।
एक गेंद की कहानी, जिसने एक गाँव की तस्वीर बदल दी।
अमन के छोटे-से गाँव में सभी खुशी-खुशी रहते थे। अमन रोज सुबह अपने दोस्तों के साथ खेलने जाता, फिर दोपहर में अपनी सारी भेड़ो को लेकर गांव के बाहर चराने ले जाता था। रात में वह दादी मां से तारो की कहानी सुनकर सो जाता था। एक दिन अमन अपनी भेड़ो को चराने ले गया, तो देखा की खेत के बीच से तेज रोशनी उत्पन्न हो रही है। पास जाकर उसने देखा की शीशे की एक गेंद खेत के बीचोबीच पड़ी है।
जिसमे खूब साते तारे घूम रहें हैं। अमन ने गेंद हाथ में उठाई ही थी की उसमे से आवाज़ आई, तुम्हारी फरमाइश क्या है? अमन हैरान रह गया, क्या गेंद भी बोल सकती है। अमन सोचने लगा, गेंद से क्या मांगू, उड़ने की शक्ति, दूसरे ग्रहों की सैर या कुछ और। वह तय नहीं कर प रहा था कज जादुई गेंद से क्या मांगे। उसने फैसला किया कि वह गेंद को घर ले जायेगा, फिर वहां अपनी ख्वाईश बताएगा।
अब वह यही सोचा करता की गेंद से क्या मांगे।एक दिन नासिर ने अमन को गेंद से अकेले में बात करता सुन लिया। नासिर ने अमन के झोले से वह गेंद चुरा ली। जैसे ही नासिर ने वह गेंद अपने हाथ में पकड़ी, गेंद से फिर आवाज़ आई, बोलो क्या है तुम्हारी फरमाइश?
नासिर ने वह गेंद घर पर सबको दिखाई। पुरे गाँव ने अपनी-अपनी फरमाइश गेंद के सामने रखी और गेंद ने सबकी फरमाइश पूरी की। गाँव में सभी अमीर हो गए। पर गाँव के सभी परिवारों में दुरियां इतनी बढ़ है कि वे एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए। पर जल्दी ही सबकी समझ में आ गया कि उस पैसे का क्या फायदा, जो अपनी खुशियां हमसे छीन ले।
यह सोचकर सभी गाँव वाले वह गेंद लेकर वापस अमन के पास पंहुचे और उससे अपनी गलती की माफ़ी मांगी। फिर अमन ने अपनी ख्वाईश गेंद के सामने रखी की मेरे गाँव को पहले जैसा बना दो।
खुशी सांसारिक चीजो से नहीं, आपसी प्रेम से ही मिलती है।
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