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RE: सुख : स्वरूप और चिन्तन (अंतिम भाग # ४) | Happiness : Nature and Thought (Final Part # 4)
हम क्यों किसी के मजे लेने लगे. बस थोड़ा सा मजाक कर रहे थे.
आप को गलत लगा हो तो माफी चाहता हूँ.
हम क्यों किसी के मजे लेने लगे. बस थोड़ा सा मजाक कर रहे थे.
आप को गलत लगा हो तो माफी चाहता हूँ.
Are nhi sir... Majaak to sehat ke lye acha hota hai... Isi se insaan khush rahta hai... So please I am sorry.. Majaak krna kabhi mt chodna
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