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RE: सुख : स्वरूप और चिन्तन (भाग # १) | Happiness : Nature and Thought (Part # 1)
इस संसार में सभी सुख चाहते हे सुख की कल्पना करते और कई प्रयास करते हे की केसे भी करके उन्हें सुख प्राप्त हो और कई तो अपने स्वार्थ को सुख का नाम दे कर किसी भी हद तक चले जाते हे उसे प्राप्त करने के लिए ये भी नहीं सोचते की इस से कितनो को पीड़ा हो रही हे इस लिए मेरा तो यही मानन हे अगर हम किसी को सुख देंगे तो हमे जरुर सुख मिलेगा इस संसार में अगर हमने कुछ लेने के बदले देने की रह पर चलने लगेंगे तो उस से हमे भी सुख मिलेगा और इस से अच्छा कोई रास्ता नहीं इस संसार में रहने का