योगी सरकार की तीसरी नेत्र से नहीं बच पाएंगे अब अपराधी।

in #lucknow3 years ago

banaras.jpg

योगी सरकार के बुलडोजर के बाद अब "फेस रिकग्निशन कैमरा " करेगा क़ानून व्यवस्था क़ायम।

720 लोकेशन पर 2183 कैमरे यातायात ,अपराध जैसे कई कामों में आएंगे उपयोग।

वाराणसी ।। सरकार ने यूपी में क़ानून का ऐसा राज़ क़ायम किया है कि बुलडोज़र का नाम सुनते ही अपराधी सरेंडर करने थाने पहुंच जाते है। अब योगी सरकार का एक और हथियार "फेस रिकग्निशन कैमरा "अपराधियों को देखते ही सलाखों के पीछे पंहुचा देगा। योगी सरकार एडवांस सर्विलांस सिस्टम के तहत वाराणसी के चौक ,चौराहों और गलियों में कैमरा लगवा दिए है। जिससे अपराधियों का बच पाना मुश्किल ही नामुमकिन है। उत्तर प्रदेश में कानून का राज कायम करने के लिए योगी सरकार ने वाराणसी के चौक ,चौराहों और गलियों तक तीसरी नेत्र का जाल बिछा दिया है। कोई अपराधी यदि वाराणसी में दाख़िल होता है तो वे फेस रिकग्निशन कैमरे से बच नहीं पाएगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ.डी वासुदेवन ने बताया कि पुलिस के सुझाव से वाराणसी में 16 लोकेशन पर 22 कैमरे लगाए गए है। ये कैमरे करीब 50 से 60 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान कर लेता है। और काशी इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम के सिस्टम में बैठे एक्सपर्ट पुलिस कर्मियों को अलर्ट कर देता है। फेस अलॉगर्थिम यानी डाटा बेस में मौजूद अपराधी की फ़ोटो को कैमरे से कैप्चर करके पिक्चर से मिलान करेगा और उसकी विशेष पहचान कोडिंग और नाम से बता देगा। ये कैमरे अपराधियों की सालो पुरानी फोटो मास्क ,हेलमेट या किसी भी प्रकार से ढके हुए चेहरों की भी पहचान कर लेते है। अपराधी अपना अपना हुलिया बदलेंगे तो भी कैमरे की नजर से नहीं बच पाएंगे। वीडियो एनालिटिक्स के माध्यम से पूरे जिले के चप्पे -चप्पे पर नज़र रखी जा रही है। लाखों की भीड़ में भी फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर आपराधिक चेहरे को खोज निकालेगा। जो चेहरों की पहचान प्रतिशत में बता देगा। कैमरे पर मौषम की मार भी बे-असर है। लाइव फीड के अलावा ये सॉफ्टवेयर फोटो टू फोटो और फोटो टू वीडियो में भी अपराधी को सर्च कर सकता है। डॉ.डी वासुदेवन ने बताया कि एडवांस सर्विलांस सिस्टम के तहत 400 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। जिसमें 720 लोकेशन पर 2183 अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए है। जो यातायात अपराध जैसे कई तरह से उपयोग में लाये जा रहे है। इस प्रोजेक्ट में भारतीय ,यूरोपियन और अमेरिकन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है