Now is where

in #nice6 years ago

बालकां की तख्ती,
मास्टरां की सख्ती,
सुबह-शाम की भक्ति,
पहलवान की शक्ति,
ईब कड़ै सै।
नूण मिर्च की चटनी,
देशी घी मक्खनी,
पीत्तल की टोकनी,
बहु जो मटकनी,
ईब कड़ै सै।
किताबां का झोला,
बालकां का रोला,
लुगाईयां का ठौला,
बातां का टौला,
ईब कड़ै सै।
भैसां का पाली,
खेतां का हाली,
बूढां की गाली,
पानी की नाली,
ईब कड़ै सै।
जोहड़ का नाहना,
बणी में जाना,
पीलां का खाना,
मेहर सिंह का गाना,
ईब कड़ै सै।
आंगन में जाल,
छत में साल,
चरखे की माल,
पानी की झाल,
ईब कड़ै सै।
चिड़िया का घोसलां,
गरीब का होंसला,
अनाज का कोठला,
घी दूध मोकला,
ईब कड़ै सै।
गाड़ी की सवारी,
खेत की क्यारी,
यार की यारी,
माता की बिमारी,
ईब कड़ै सै।
आपस का मेल,
चर-भर का खेल,
ऊंट की नकेल,
धरती धकेल,
ईब कड़ै सै।
मेले का चाव,
कुश्ती के दांव,
छांद की छांव,
पहले आले गांव,
ईब कड़ै सै।