तुम्हारी "हार" तुम्हें, कभी नहीं झुका सकती अगर तुम में "जीतने" .............simranroy (47)in #poem • 3 years ago तुम्हारी "हार" तुम्हें, कभी नहीं झुका सकती अगर तुम में "जीतने" का हौसला है तो