एक शे'र
एक शे'र
जिसको जो चाहे बख़्श दे है इख़्तियार उसे ,
मर्गो-हयात कब भला इन्साँ के बस में है ।
राकेश 'नादान'
मर्गो-हयात----- मौत और ज़िंदगी
एक शे'र
जिसको जो चाहे बख़्श दे है इख़्तियार उसे ,
मर्गो-हयात कब भला इन्साँ के बस में है ।
राकेश 'नादान'
मर्गो-हयात----- मौत और ज़िंदगी