लाल लिपस्टिक

in #sanjaysinha2 years ago

एक बहन ने कुछ दिन पहले मेरे पास अपनी एक तस्वीर भेजी। मुंह पर चोट के निशान, आंखें सूजी हुई। मैंने पूछा कि क्या है ये तस्वीर? बहन ने बताया कि भैया, पति ने पिटाई की है। उसे जब भी गुस्सा आता है, पिटाई करता है। भैया, मुझे नहीं रहना इसके साथ।
मैं कहानी आगे बढ़ाता। अगर वो मुझसे पुलिस की मदद मांगती तो मैं यकीनन उसकी मदद करता। पर हुआ क्या?
कुछ ही दिनों बाद दुबारा मैंने फेसबुक पर उसकी तस्वीर देखी सूजे होठ पर लाल लिप्स्टिक लगा कर पति के संग घूमते हुए।
अब आप पूछेंगे कि क्या संजय सिन्हा हर उस लड़की का घर तोड़ देने पर उतारू हैं जिनके पति कभी-कभी उसकी पिटाई करते हैं?
मैं कहूंगा हां। मैं ऐसी हर लड़की का घर तोड़ देने पर उतारू रहता हूं जिनके पति अपनी पत्नी की पिटाई करते हैं, मानसिक यंत्रणा देते हैं। सेम मैं उन पतियों से भी हमदर्दी रखता हूं, जिनकी पत्नियां…
पर कहानी आज ये है ही नहीं। आप बेकार में अंदाजा लगाने बैठ गए हैं कि अपने फेसबुक परिवार में कौन पति अपनी पत्नी को सता रहा है? किसका पति पत्नी को धोखा दे रहा है? और बाई द सेम टाइम किसकी पत्नी पति से छुप कर…छोड़िए, आज ये कहानी है ही नहीं। कहानी है राम जी और हनुमान की तस्वीर। वो तस्वीर जिसमें हनुमान जी राम जी के चरणों में बैठे हैं।
कहानी असल में वो तस्वीर भी नहीं। कहानी है मुरलीधर की वो तस्वीर, जिसमें वो मुरली बजैया बने बैठे हैं।
कहानी है ऐसी बहुत-सी तस्वीरें हैं जो आपके मन का सुकून हैं।
कहानी है सुप्रभात, गुड मॉर्निंग, जय हो, राम-राम।
मैं कुछ दिन जिस सरकारी स्कूल में पढ़ता था वहां के मास्टर साहब कापी पढ़ते नहीं थे, पन्ने पलटते थे। देखा कि छात्र ने कुछ लिखा है तो नंबर दे देते थे। मुहावरा चलता था कि मुर्गी के पांव में स्याही लगा कर अगर कॉपी पर छोड़ दें तो उससे उगे निशान पर भी मास्टर साहब नंबर दे देंगे। उन्हें नंबर देने हैं, काले अक्षरों पर। क्या लिखा है, उन्हें कोई मतलब नही।
पन्ने भरे हैं न!
आपके संजय सिन्हा रोज़ कुछ कुछ लिखते हैं। आप में से बहुत से लोग हनुमान जी की तस्वीर डाल कर जय श्री राम लिख कर निकल जाते हैं। बहुत से लोग मुरलीधर की तस्वीर कमेंट मे चिपका कर। कुछ सुप्रभात और गुड मॉर्निंग सिख कर। कुछ अपने हिस्से का जनसंपर्क करके। मूल मसले पर कुछ ही लोग टिकते हैं।
आज मेरी कहानी उन लोगों के प्रति चिंता है जो बड़ी से बड़ी चिंता को हनुमान की तस्वीर के आगे न्योछावर करके निकल जाते हैं। ठीक मेरी उस बहन की तरह, जो अपनी पिटाई की तस्वीर भूल जाती है। वो भूल जाती है कि पिछले महीने उसके पति ने उसे बेल्ट से मारा था। वो बिलख उठी थी। वो भूल जाती है, लिप्स्टिक के मोह में। वो मरने के लिए नसें काटती है, फिर सूखे जख्म पर उसी आदमी की तस्वीर चस्पा करने बैठ जाती है फ़ेसबुक पर।
क्यों?
पूछेंगे तो जवाब मिलेगा कि विकल्प क्या है?
विकल्प है परिस्थिति को समझना। उससे मुकाबला करना। लिखे को पढ़ना। गंभीरता से विचार करना। हज़ार रास्ते खुलते हैं, ठीक से पढ़ने वालों के लिए। समझने वालों के लिए।
भगवान पर भरोसा रखिए, पर हर बात पर जय-जय राम कह कर भागिए मत। आपने किसी को अपने जीवन की बागडोर सौंपी है। वो पति हो या राष्ट्रपति। उसकी एक तय ज़िम्मेदारी है। उसे उसे पूरा करना ही है। जिसे आपने चुना है उसके चयन पर आप विचार कीजिए।
जब परिस्थितियां आपने चुनी हैं तो हर बात (वॉल) पर भगवान जी को मत लाइए।
लाइए अपनी सोच। अपने विचार। अपना आत्मसम्मान।
गुड मॉर्निंग औपचारिकता है। विरोध आपका आत्मसम्मान।
मत सहिए। कुछ भी मत सहिए। कुछ भी सहना पाप है।
हनुमान जी भी माफ नहीं करेंगे जो आपने आसपास के रावण की लंका जस की तस रहने दी।
अपने विचारों के बारूद में पलीता लगाइए। पलीते को माचिस दिखलाइए। चैलेंज कीजिए। बोलिए। कापी पर मुर्गी मत दौड़ाइए। आइए विचारों के संसार में। चोट से घायल लाल होठ लिप्स्टिक से रंगे लाल होठों से अधिक असली होते हैं। असली का मुकाबला असली से होता है, समझौते से नहीँ।
मेरे लिखे को पढ़िए। उस पर अपनी प्रतिक्रिया जताइए। मैं आपके भीतर की गीली लकड़ियां रोज़ सुखाने आता हूं, ताकि आपके भीतर की ऊर्जा प्रज्जवलित हो। उसे धधकने दीजिए।
संजय सिन्हा का दर्द - सबसे खतरनाक होता है घायल होठों को चुपचाप रंग लेना।
#sanjysinha
#ssfbFamily